पवार फॉर्मूला नहीं अपनाया काँग्रेस अध्यक्ष सोनिया ने

केंद्रीय एजेंसियों से निपटने के सभी क्षत्रपों ने अपने अपने फॉर्मूले बनाए हैं। जैसे ममता बनर्जी के मंत्रियों को सीबीआई ने गिरफ्तार किया तो वे कोलकाता में सीबीआई कार्यालय में पहुंच गईं और छह घंटे तक वहीं बैठी रहीं। राज्य की पुलिस उनके साथ खड़ी रही और पार्टी कार्यकर्ताओं ने सीबीआई के खिलाफ नारेबाजी की। इसी से मिलता-जुलता फॉर्मूला शरद पवार का है। महाराष्ट्र में ईडी ने 5 हजार करोड़ रुपए के कथित बैंक घोटले में शरद पवार और उनके भतीजे अजित पवार सहित कई लोगों पर मुकदमे दर्ज किए थे। इस मुकदमे की सूचना मिलने के बाद पवार ने ऐलान किया कि वे मुंबई में ईडी के कार्यालय में जाएंगे और अपना पक्ष रखेंगे।

हालांकि ईडी ने पवार को नोटिस जारी नहीं किया था लेकिन उन्होंने बलार्ड एस्टेट स्थित ईडी के कार्यालय जाने के फैसला किया। यह मामला सितंबर 2019 का है। इसके थोड़े दिन बाद ही राज्य में विधानसभा के चुनाव होने वाले थे, जिसकी वजह से माहौल में सियासी हलचल पहले से थी। पवार की घोषणा के बाद हजारों की संख्या में एनसीपी कार्यकर्ता ईडी कार्यालय के सामने जमा होने की तैयारी करने लगे। माहौल ऐसा बन गया कि ईडी ने ईमेल भेज कर पवार को कहा कि उनको कार्यालय आने की जरूरत नहीं है। राज्य की तत्कालीन भाजपा सरकार अलग परेशान हुई और कानून व्यवस्था की स्थिति ठीक रखने के लिए पुलिस कमिश्नर खुद पवार के घर गए और उनको मनाया कि वे ईडी कार्यालय न जाएं। बाद में उस केस का क्या हुआ पता नहीं है लेकिन फिर सुनने को नहीं मिला की पवार के खिलाफ ईडी कोई कार्रवाई करने जा रही है।
सोचें, 25 हजार करोड़ रुपए के कथित घोटाले में एफआईआर में नाम होने के बावजूद पवार को पेश नहीं होना पड़ा लेकिन एक ऐसे कथित घोटाले में, जिसमें कोई पैसा इनवॉल्व नहीं है उसमें सोनिया और राहुल गांधी ईडी के सामने पेश होंगे। ईडी ने राहुल गांधी को दो जून को पेश होने के लिए नोटिस जारी किया था लेकिन तब वे विदेश में थे। इस आधार पर पार्टी ने दूसरा समय मांगा। अब उनको 13 जून को पेश होना है। सोनिया गांधी के आठ जून को पेश होना है लेकिन वे कोरोना संक्रमित हैं और पार्टी उनके लिए भी आगे का कोई समय लेगी।
सवाल है कि क्यों नहीं नोटिस मिलते ही सोनिया और राहुल दोनों ने खुद पहल की और पवार की तरह तत्काल ईडी कार्यालय पहुंचने का ऐलान किया? राहुल के विदेश से लौट आना कोई मुश्किल काम नहीं था। वे लौटते और दो जून को ही अपने सारे दस्तावेजों के साथ ईडी के कार्यालय पहुंचने का ऐलान करते। इससे उनके बेकसूर होने की धारणा बनती। अभी ऐसा लग रहा है कि वे दोषी हैं और ईडी ने उनको तलब किया है। कांग्रेस कह रही है कि राजनीतिक बदले की भावना से कार्रवाई की जा रही है लेकिन कांग्रेस इस मामले को सियासी रूप नहीं दे पा रही है। अगर पवार फॉर्मूले पर कांग्रेस भी काम करती तभी मामला सियासी रूप लेता।

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