प्रदेश की 30 हजार सहकारी संस्थाएं अफसरों के हवाले…

प्रदेश की 30 हजार सहकारी संस्थाएं अफसरों के हवाले…
इंदौर,24 फरवरी (आरएनएस)। प्रदेश के सहकारिता विभाग में राज्य सहकारी निर्वाचन पदाधिकारियों का वैधानिक रिक्त पद छह माह बाद भी नहीं भरे जाने से इंदौर सहित प्रदेश की लगभग 30 हजार सहकारी संस्थाओं के चुनाव अटक गए हैं। इससे सहकारी आंदोलन चरमरा गया है। चुनव आयोग की तर्ज पर गठित मप्र राज्य सहकारी निर्वाचन प्राधिकारी की अनुपस्थिति में सहकारिता एक्ट के तहत सहकारी संस्थाओं के चुनाव कराना संभव नहीं है। राज्य सरकार द्वारा छह माह तक इस पद पर नियुक्ति नहीं होने से सहकारिता क्षेत्र में आश्चर्य व्यक्त किया जा रहा है। यहाँ तक कि सत्तारूढ़ भाजपा के ही विधायक ने इस पर सवाल उठाते हुए आगामी विधानसभा सत्र में सरकार से सवाल पूछ लिया है। राज्य सहकारी निर्वाचन प्राधिकारी का पद वर्ष 2013 में कायम होने के बाद से ही उस पद पर रिटायर्ड आईएएस की नियुक्ति की जाती रही है।

इंदौर में संभागायुक्त रह चुके सेवानिवृत्त आईएएस प्रभात पराशर का कार्यकाल पूरा हाने के बाद रिटयार्ड आईएएस मनीष श्रीवास्तव को निर्वाचन प्राधिकारी बनाया गया था किंतु उनका कार्यकाल नौ सितम्बर 2021 को खत्म् हो गया। उसके लगभग छह माह बाद भी नए निर्वाचन प्राधिकारी की नियुक्ति नहीं की जा सकी है। राज्य निर्वाचन प्राधिकारी का पद वैधानिक पद होता है और उनकी अनुपस्थिति में चुनाव नहीं कराए जा सकते इसलिए प्रदेश भर की लगभग 70 हजार सहकारी संस्थाओं में से 30 हजार संस्थाओं के चुनाव नहीं हो पा रहे हैँ। इनमें इंदौर जिले की 34 सौ संस्थाओं में लगभग 25 सौ संस्थाएं भी शामिल हैं जिनके चुनाव होना शेष है। इस कारण कार्यकाल पूरा करने वाली सभी संस्थाओं को भंग कर उन पर सहकारिता विभाग के प्रशासक नियुक्त हैं। अधिकांश संस्थाओं के प्रशासकों की मनमानी आए दिन सहकारिता विभाग और कलेक्टर तक पहुंचती है। साथ ही चुने हुए संचालक मंडल के पास जो अधिकार होते हैं वे सभी अधिकार सहकारी संस्थाओं के प्रशासन को नहीं होते। इस कारण लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हनन तो हो ही रहा है साथ ही सहकारिता आंदोलन चरमरा गया है।

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