उत्तराखंड की इन दो सबसे हॉट सीटों पर टिकी सबकी निगाहें,एक पर मौजूदा तो दूसरे पर हैं पूर्व सीएम

पांच राज्यों के चुनाव संपन्न हो चुके हैं। गत 7 मार्च को एग्जिट पोल ने संभावित रुझान भी बता दिए हैं। अब सांस रोक कर लोग 10 मार्च की सुबह का इंतजार कर रहे हैं। इसी दिन असली परिणाम आएंगे। उत्तराखंड के चुनाव में भाजपा व कांग्रेस के बीच मुकाबला रहा। दोनों पार्टियों के बड़े चेहरे पुष्कर सिंह धामी व हरीश रावत कुमाऊं के खटीमा व लालकुआं से लड़ रहे हैं। लिहाजा इन दो हाॅट सीटों पर सबकी निगाहें टिकी रहेंगी।

चुनाव में यूं तो सभी को अपने क्षेत्र की सीटों के हार-जीत का पता लगने की उत्सुकता रहती है। पर कुछ सीटें ऐसी भी होती हैं जिसका परिणाम हर कोई जानना चाहता है। कुमाऊं की दो सीटें एक खटीमा व दूसरी लालकुंआ ऐसी ही दो हाॅट सीटें हैं, जिसका परिणाम उत्तराखंडवासी ही नहीं बल्कि देशभर की निगाहें टिकी हुई हैं। खटीमा से वर्तमान सीएम पुष्कर सिंह धामी ताल मैदान में हैं। यह उनकी परंपरागत सीट है। यहां से वह दो बार विधायक रह चुके हैं। सीएम की सीट होने के कारण यह सीट सबकी नजर है। यहां से कांग्रेस के भुवन कापड़ी उन्हें चुनौती दे रहे हैं। इस सीट को निकालने के लिए दोनों दलों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी। भाजपा के वरिष्ठ नेता, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी समेत कई स्टार प्रचारकों ने खटीमा में रैली व जनसभाएं कीं।

वहीं कांग्रेस ने भी अपनी तरफ से कोई कसर नहीं छोड़ी। खुद प्रियंका गांधी ने भुवन कापड़ी के पक्ष में खटीमा में जनसभा की। उन्होंने भाजपा पर तीखा हमला बोला था। विकास व बेरोजगारी पर वह पूरे भाषण के दौरान हमलावर रहीं।

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इसी प्रकार से दूसरी सबसे चर्चित सीट या यूं कहें कि खटीमा से अधिक चर्चित सीट जिसमें उत्तराखंड व शेष देश की रुचि है। वह है लालकुआं सीट। पूर्व सीएम, उत्तराखंड कांग्रेस का सबसे बड़ा चेहरा व सीटों के आवंटन के बाद विरोध व बगावत के चलते यह सीट चुनाव पूर्व ही चर्चा में आ गई थी। जी हां, यहां से दम ठोंक रहे हैं हरीश रावत, जिन्हें प्रदेश में हरदा के नाम से जाना जाता है। हरीश रावत चुनाव पूर्व ही अपने सोशल मीडिया पोस्ट, बयानबाजी से सियासी पारा गर्म किए हुए थे। उसके बाद सीटों के बंटवारे में कांग्रेस में बगावत शुरू हुई।

पहले हरदा रामनगर से लड़ रहे थे बगावत होने पर उन्होंने लालकुआं सीट चुनी यहां पर पूर्व में आवंटित संध्या डालाकोटी ने बगावत कर दिया। हरदा ने उन्हें मनाने के लाख जतन किए पर बात नहीं बनी और अंत में वह निर्दलीय लड़ीं। हरीश रावत इससे पूर्व चुनाव में हरिद्वार ग्रामीण व किच्छा, दो जगहों से चुनाव लड़े थे और दोनों जगहों से हारे थे। इसलिए भी इस बार लोगाें की हरदा की सीट लालकुआं में खासी दिलचस्पी है।

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इन दो सीटों से इन दोनों नेताओं के राजनैतिक भविष्य भी तय करेगा। भाजपा ने तीन सीएम बदलें हैं। सीएम धामी को कांग्रेस के सामने तो खुद को साबित ही करनी है उसके साथ ही भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की अपेक्षाओं पर भी खरा उतरने की भी चुनौती है। वहीं कांग्रेस से हरदा पूर्व दाेनों चुनाव हार चुके हैं, उन्हें हर हाल में यह चुनाव जीतना होगा। साथ ही प्रदेश कांग्रेस व हाईकमान के सामने खुद को सीएम चेहरा व सबसे बड़ा नेता साबित करने की चुनौती है। इसके बाद शायद ही 10 जनपथ उन्हें इतनी प्राथमिकता दे। इन सब समीकरणों से यह दोनों हॉट सीटें सबकी निगाह में हैं। धामी और हरदा का सबकुछ दांव पर लगा है। 

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