छत्रपति शाहूजी महाराज’ की  भव्य जयन्ती समारोह का आयोजन हुआ

प्रेस क्लब में आज ‘छत्रपति शाहूजी महाराज’ की एक भव्य जयन्ती समारोह का आयोजन हुआ। यह आयोजन ‘भारतीय संविधान संरक्षण संघर्ष समिति द्वारा किया गया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में पहुंचकर लोगों ने उन्हें सृद्धा सुमन अर्पित किया। उ०प्र० सरकार के पूर्व मंत्री एवं समाजवादी नेता  आर . के. चौधरी जयन्ती समारोह के मुख्य अतिथि थे। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि शाहूजी महराज का जन्म 26 जून सन् 1874 को मराठा कुर्मी वंश में कोल्हापुर के वीर शिवाजी के राजवंश में हुआ था। शाहू जी महाराज स्वयं कोल्हापुर के राजसिंहासन पर 2 अप्रैल सन् 1894 को विराजमान हुए थे। ‘शाहूजी’ को ‘आरक्षण का जनक’ कहा जाता है।

लखनऊ (आरएनएस )

26 जुलाई 1902 को उन्होंने समाज के कमजोर एवं पिछड़े वर्ग को अपने राज्य की सेवाओं में 50 प्रतिशत आरक्षण देना शुरू किया था। छत्रपति शाहूजी महाराज ने कोल्हापुर राज्य की गद्दी सम्हालते ही देखा कि समाज की स्थिति दयनीय है। वर्ण व्यवस्था के चलते जाति-पांत, ऊंच-नीच व छुआ-छूत चरम पर है। वर्ण व्यवस्था की पाखण्डी संस्कृति ने किसानों और मजदूरों की स्थिति को दयनीय बना दिया है। उन दिनों महात्मा ज्योतिराव फूले का सत्य शोधक समाज नाम का संगठन लोगों को वर्ण व्यवस्था के चंगुल से छुटकारा दिलाने के लिए संघर्षरत था। शाहू जी महाराज इससे बहुत प्रभावित थे। उन दिनों कोल्हापुर राज्य में अधिकारियों की संख्या 75 थी। इसमें 64 ब्राह्मण थे और 11 गैर ब्राह्मण थे। इसी प्रकार महाराज की निजी सेवा मे 46 ब्राह्मण और मात्र 7 गैर ब्राह्मण थे। ऐसी स्थिति में समाज के कमजोर एवं पिछड़े वर्ग के साथ न्याय हो पाना संभव नहीं था। इसीलिए छत्रपति शाहूजी ने समाज के कमजोर एवं पिछड़े वर्ग के लिए अपने राज्य का अधीन सेवाओं में 50 प्रतिशत आरक्षण देने को ऐतिहासिक फैसला किया। आरक्षण से समाज के कमजोर एवं पिछड़े वर्ग को शासन-प्रशासन में उसकी भागीदारी का सिलसिला आगे बढ़ रहा था। परन्तु आज देश और प्रदेश की भगवा सरकार ने आरक्षण को बड़ी तेजी से खत्म और निःप्रभावी करना शुरू कर दिया। हमें महात्मा फूले, छत्रपति शाहू जी, पेरियार और डॉ. अम्बेडकर के पद चिन्हों पर चलकर भारतीय संविधान, लोकतंत्र और अपना आरक्षण बचाने के लिए निर्णायक संघर्ष करना होगा।

Rashtriya News

Prahri Post