नए जम्मू-कश्मीर को चौबीसों घंटे मिलेगी बिजली, केंद्र ने 5641.91 करोड़ रुपए किए मंजूर
हिमालयी क्षेत्र में बिजली संकट 5 अगस्त, 2019 तक आम बात थी, मगर जब केंद्र ने जम्मू-कश्मीर के तथाकथित विशेष दर्जे को निरस्त कर इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के अपने फैसले की घोषणा की और नया जम्मू-कश्मीर बन गया, उसके बाद हालात बदल गए हैं। मौजूदा शासन द्वारा उठाए गए सक्रिय कदमों और केंद्र द्वारा किए गए उदार वित्त पोषण ने हिमालयी क्षेत्र को बिजली उत्पादन की तुलना में आत्मनिर्भर बनने की राह पर ला खड़ा किया है।
हाल ही में, केंद्रीय बिजली मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर के शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में पुनरुत्थान वितरण क्षेत्र योजना (आरडीएसएस) के तहत बिजली वितरण बुनियादी ढांचे के पूर्ण सुधार के लिए 5641.91 करोड़ रुपये के पहले चरण के पैकेज को मंजूरी दी। प्रथम चरण के तहत स्वीकृत राशि में से जम्मू पावर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड को 2807.70 करोड़ रुपये और कश्मीर पावर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड को 2834.21 करोड़ रुपये मिलेंगे, जो सात दशकों से किसी न किसी तरह के तकरार में फंसे हुए हैं।
फेज-1 के तहत स्मार्ट प्री-पेड मीटरिंग और घाटे में कमी/बुनियादी ढांचे के निर्माण से संबंधित परियोजनाओं को लागू किया जाएगा। द्वितीय चरण के तहत आधुनिकीकरण कार्यो के लिए अलग से वित्त पोषण किया जाएगा। जम्मू-कश्मीर सरकार ने हर घर में 24 गुणा 7 गुणवत्ता वाली बिजली की आपूर्ति के लिए वितरण क्षेत्र में सभी आपूर्ति बाधाओं को दूर करने के लिए आरडीएसएस के तहत 12,922 करोड़ रुपये की निवेश योजना प्रस्तुत की है, और केंद्र यह सुनिश्चित कर रहा है कि केंद्र शासित प्रदेश में प्रशासन अपने प्रयास में सफल हो।
जम्मू-कश्मीर में पुर्नोत्थान वितरण क्षेत्र योजना (आरडीएसएस) के कार्यान्वयन का उद्देश्य केंद्र शासित प्रदेश में बिजली क्षेत्र को जीवंत बनाना है। इस योजना में बिजली विभाग की परिचालन दक्षता में सुधार, अधिक वित्तीय व्यवहार्यता लाने, स्मार्ट प्री-पेड मीटरिंग सिस्टम को लागू करने, एटी एंड सी नुकसान को कम करने और उपभोक्ताओं को विश्वसनीय, सस्ती और गुणवत्ता वाली बिजली आपूर्ति प्रदान करने के लिए बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की परिकल्पना की गई है।
बिजली विभाग ने 14,07,045 प्री-पेड स्मार्ट मीटर लगाने, ट्रांसफॉर्मर के पुन: वितरण वितरण, लंबे फीडरों को विभाजित करने, कृषि फीडरों को अलग करने, पुराने/खराब कंडक्टरों को बदलने के लिए एक मिशन शुरू किया है। वोल्टेज नियमन के लिए 66/11केवी और 33/11केवी सबस्टेशनों पर कैपेसिटर बैंक स्थापित किए गए और चोरी और बिजली के व्यवधान को रोकने के लिए भूमिगत केबल बिछाए गए। इन सभी कदमों से बिजली व्यवस्था-उत्पादन, पारेषण, वितरण और कनेक्शन को मजबूती मिलेगी।
सरकार ने पिछले तीन वर्षो के दौरान केंद्र शासित प्रदेश में लोगों की बिजली की मांगों को पूरा करने के लिए नए बिजली बुनियादी ढांचे को विकसित करने और मौजूदा में सुधार करने के लिए एक मिशन मोड पर काम किया है। तमाम बाधाओं का सामना करने के बावजूद बिजली विभाग अंतिम छोर तक कनेक्टिविटी और केंद्रीय क्षेत्र की सार्वभौमिक घरेलू विद्युतीकरण योजना की शत-प्रतिशत संतृप्ति हासिल करने में सफल रहा है। 6500 से अधिक नए वितरण ट्रांसफार्मर लगाए गए हैं और ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में बिजली वितरण की विश्वसनीयता सुनिश्चित की गई है।
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