हाई कोर्ट में ओबीसी आरक्षण से संबंधित याचिकाओं की जारी रहेगी सुनवाई
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आरक्षण से संबंधित याचिकाओं की सुनवाई बुधवार को भी जारी रहेगी। इससे पूर्व सोमवार व मंगलवार को ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण देने के विरोध में अधिवक्ताओं ने दलीलें प्रस्तुत कीं। प्रशासनिक न्यायाधीश शील नागू व न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह की युगलपीठ के समक्ष बुधवार को भी सुनवाई जारी रखे जाने की व्यवस्था दी गई है।
उल्लेखनीय है कि राज्य शासन ने 2019 में ओबीसी आरक्षण 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत कर दिया था। विगत सुनवाई के दौरान यूथ फार इक्वालिटी, धर्मेंद्र पांडे व अन्य की ओर से अधिवक्ता अंशुमान सिंह ने पक्ष रखा था। उन्होंने दलील दी थी कि जिस महाजन कमेटी की रिपोर्ट के अधार पर मप्र सरकार ने ओबीसी का आरक्षण 14 से बढ़ाकर 27 प्रतिशत किया है, वह 1983 में आई थी। सुप्रीम कोर्ट की नौ जजों की बेंच ने 1992 में उक्त कमेटी को नहीं माना था। उन्होंने दलील दी थी कि इंदिरा साहनी के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा है कि किसी भी परिस्थिति में कुल आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में साफ किया है कि सुदूर या मुख्यधारा से अलग क्षेत्रों में ही जनसंख्या के अधार पर आरक्षण सीमा बढ़ाई जा सकती है। एमआर बालाजी, नागराज और मराठा प्रकरणों में सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण की सीमा तय कर दी है, इसलिए उसके बाहर नहीं जा सकते। कानून में जनसंख्या के अधार पर आरक्षण बढ़ाने का कोई प्रविधान नहीं है। यदि ओबीसी को प्रदेश में 27 प्रतिशत आरक्षण दिया जाता है तो कुल आरक्षण 73 प्रतिशत हो जाएगा।
ओबीसी आरक्षण के समर्थन मे दायर करीब 22 याचिकाओं की सुनवाई की जाएगी। इसके बाद शासन की ओर से अंतिम बहस को गति दी जाएगी। सुनवाई के दौरान असिस्टेंट सालिसिटर जनरल केएम नटराज नई दिल्ली से वर्चुअल हाजिर हुए। महाधिवक्ता प्रशांत सिंह, राज्य शासन की ओर से ओबीसी के लिए नियुक्त विशेष अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर व विनायक प्रसाद शाह उपस्थित हुए। ओबीसी आरक्षण के समर्थन मे दायर याचिकाओं में अधिवक्ता उदय कुमार साहू व परमानंद साहू उपस्थित हुए थे।