यूपी के मुख्यमंत्री ने प्रदेश में बाढ़ प्रबन्धन एवं राहत की तैयारियों की समीक्षा की

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि विगत 05 वर्षाें में प्रदेश में बाढ़ की समस्या के स्थायी समाधान के लिए अन्तर्विभागीय समन्वय के माध्यम से सुनियोजित प्रयास किये गये हैं। वर्ष 2017-18 से अब तक 830 बाढ़ परियोजनाएं पूरी की गयी हैं। विशेषज्ञों की सलाह से आधुनिकतम तकनीक का प्रयोग करने से बाढ़ के खतरे को न्यूनतम करने में सफलता मिली है। इससे राज्य में बाढ़ की संवेदनशीलता कम हुई है। बाढ़ के प्रति अतिसंवेदनशील जनपदों की संख्या में कमी आयी है। इस वर्ष भी बेहतर समन्वय, क्विक एक्शन और बेहतर प्रबन्धन से बाढ़ की स्थिति में लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करायी जाए। मुख्यमंत्री  आज यहां अपने सरकारी आवास पर प्रदेश में बाढ़ प्रबन्धन एवं राहत की तैयारियों की समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि बाढ़ के साथ-साथ हर जनपद व नगर निकाय में जल जमाव रोकने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाये जाएं। नालों एवं नालियों की सफाई, सिल्ट को निकालना तथा उसका समय से निस्तारण कर लिया जाए। उन्होंने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिये कि बाढ़ नियंत्रण एवं जल जमाव से क्षेत्र को मुक्त रखने के सभी कार्याें को 30 जून, 2022 तक पूरा कर लिया जाए।

लखनऊ (आरएनएस )

मुख्यमंत्री  ने कहा कि प्रदेश में बाढ़ की दृष्टि से 24 जनपद अति संवेदनशील श्रेणी के हैं। इसमें महाराजगंज, कुशीनगर, लखीमपुर खीरी, गोरखपुर, बस्ती, बहराइच, बिजनौर, सिद्धार्थनगर, गाजीपुर, गोण्डा, बलिया, देवरिया, सीतापुर, बलरामपुर, अयोध्या, मऊ, फर्रुखाबाद, श्रावस्ती, बदायूं, अम्बेडकरनगर, आजमगढ़, संतकबीर नगर, पीलीभीत और बाराबंकी शामिल हैं। जबकि सहारनपुर, शामली, अलीगढ़, बरेली, हमीरपुर, गौतमबुद्ध नगर, रामपुर, प्रयागराज, बुलन्दशहर, मुरादाबाद, हरदोई, वाराणसी, उन्नाव, लखनऊ, शाहजहांपुर और कासगंज संवेदनशील प्रकृति के हैं। उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रों में आपात स्थिति हेतु पर्याप्त रिजर्व स्टॉक की व्यवस्था कर ली जाए। बाढ़ की सर्वाधिक आशंका वाले स्थलों पर बाढ़ से बचाव एवं राहत के लिए टीम तैनात कर ली जाए। सभी 875 बाढ़ सुरक्षा समितियां निरन्तर सक्रिय रहकर कार्य करें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बाढ़ नियंत्रण एवं राहत के लिए राज्य स्तर और जिला स्तर पर, कोरोना काल खण्ड में गठित कंट्रोल रूम की तर्ज पर, कंट्रोल रूम स्थापित किया जाए। यह कंट्रोल रूम 24 घण्टे संचालित रहें। बाढ़ से बचाव एवं प्रभावित लोगों को राहत उपलब्ध कराने के लिए सिंचाई एवं जल संसाधन, गृह, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, खाद्य एवं रसद, राजस्व एवं राहत कृषि, राज्य आपदा प्रबन्धन, रिमोट सेन्सिंग प्राधिकरण द्वारा पारस्परिक समन्वय के माध्यम से कार्य किया जाए।
मुख्यमंत्री  ने कहा कि प्रदेश पुलिस रेडियो मुख्यालय द्वारा बाढ़ से प्रभावित जनपदों में स्थापित सभी 113 बेतार केन्द्र मानसून के दौरान हर समय एक्टिव रहंे। भारतीय मौसम विभाग, केन्द्रीय जल आयोग, केन्द्रीय आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण से सतत संवाद-सम्पर्क बनाकर रखा जाए। यहां से प्राप्त आकलन/अनुमान रिपोर्ट समय से फील्ड में तैनात अधिकारियों को उपलब्ध करायी जाए। भारत सरकार की एजेंसियों की मदद से आकाशीय बिजली के सटीक पूर्वानुमान की बेहतर प्रणाली के विकास का प्रयास किया जाना चाहिए।
मुख्यमंत्री  ने कहा कि बाढ़ सहित किसी भी आपदा से बचाव के लिए जनपदों को स्वावलम्बी होना चाहिए। इसके लिए सभी जनपदों की आपदा प्रबन्धन की अपनी ठोस कार्ययोजना होनी चाहिए। इस सम्बन्ध में सभी जनपदों के पास अपना प्रशिक्षित मानव संसाधन होना चाहिए। इसके लिए एन0डी0आर0एफ0, एस0डी0आर0एफ0 के सहयोग से युवाओं को प्रशिक्षित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि विभागीय समन्वय एवं कन्वर्जन के माध्यम से प्रदेश ने सफलतापूर्वक कई चुनौतियों का सामना किया है। कई उपलब्धियां हासिल की हैं। जनपद स्तर पर आपदा प्रबन्धन कार्यक्रम को विभागीय समन्वय एवं कन्वर्जन के माध्यम से आगे बढ़ाया जाए।
मुख्यमंत्री  ने कहा कि प्रदेश में बाढ़/अतिवृष्टि की स्थिति पर सतत नजर रखी जाए। नदियों के जलस्तर की सतत मॉनीटरिंग की जाए। नौकाएं, राहत सामग्री आदि के प्रबंध समय से कर लिया जाए। बाढ़/अतिवृष्टि से प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्यों को प्रारम्भ करने में देरी न हो। प्रभावित होने वाले परिवारों को हर जरूरी मदद तत्काल उपलब्ध कराई जाए। प्रभावित जिलों में एन0डी0आर0एफ0, एस0डी0आर0एफ0, पी0ए0सी0 तथा आपदा प्रबंधन टीमें किसी भी स्थिति में हस्तक्षेप के लिए 24 घण्टे तैयार रहें। आपदा प्रबंधन मित्र, सिविल डिफेंस के स्वयंसेवकों की आवश्यकतानुसार सहायता ली जानी चाहिए। इन्हें विधिवत प्रशिक्षण भी दिया जाए। बाढ़ आपदा की स्थिति में स्थापित राहत कैम्पों में रहने वाली महिलाओं/किशोरियों को डिग्निटी किट उपलब्ध कराए जाएं। डिग्निटी किट में सैनेटरी पैड, साबुन, तौलिया, डिस्पोजे़बल बैग, बाल्टी, मास्क आदि शामिल हों।
मुख्यमंत्री  ने कहा कि बाढ़ के दौरान और बाद में बीमारियों के प्रसार की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा क्लोरीन की गोलियों, ओ0आर0एस0, बुखार आदि की दवाओं की विशेष स्वास्थ्य किट तैयार करके जनपदों में पहुंचा दी जाए। कुत्ता काटने की स्थिति के लिए एण्टी रैबीज तथा सांप काटने की स्थिति के लिए एण्टी वेनम इंजेक्शन की उपलब्धता, सी0एच0सी0 एवं जिला अस्पतालों में सुनिश्चित की जाए। बाढ़ के दौरान एवं बाद में होने वाली बीमारियों के प्रति लोगों को जागरूक किया जाए। प्रभावित लोगों को बताया जाए कि बाढ़ का पानी कतई न पिएं, जब भी पानी पियें उबाल कर छान कर पिएं। राहत शिविरों में चिकित्सकों की टीम विजिट करे। कोरोना के प्रति भी सतर्कता एवं सावधानी बरती जाए।
मुख्यमंत्री  ने कहा कि बाढ़ प्रभावित लोगों को दी जाने वाली राहत सामग्री की गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं होना चाहिए। राहत आयुक्त स्तर से खाद्य सामग्री की गुणवत्ता सुनिश्चित की जाए। राहत सामग्री का पैकेट मजबूत हो, लोगों को कैरी करने में आसानी हो। राहत शिविरों में पेट्रोमैक्स आदि के माध्यम से रात्रि में प्रकाश की व्यवस्था की जाए। महिलाओं, बालिकाओं की सुरक्षा के भी पुख्ता इंतजाम होने चाहिए। ऐसे में पुलिस बल की सक्रियता आवश्यक है। फील्ड में तैनात कर्मियों के भोजन आदि की भी व्यवस्था रहे। बाढ़ आपदा की स्थिति में यदि जरूरत पड़ती है तो अस्थायी राशन केंद्र भी संचालित करने होंगे। खाद्य एवं रसद विभाग द्वारा इनके संचालन की व्यवस्था पूर्व से ही कर लिया जाए।
मुख्यमंत्री  ने कहा कि बाढ़ के दौरान गांवों में जलभराव की स्थिति में आवश्यकता पड़ने पर पालतू पशुओं को भी अन्यत्र सुरक्षित स्थल पर शिफ्ट कराना पड़ सकता है। जनपदों में इसके लिए स्थान का चयन कर लिया जाए। इन स्थलों पर पशु चारे की पर्याप्त व्यवस्था होनी चाहिए। पशुपालन विभाग द्वारा पशुओं का टीकाकरण समय से कराया जाए। बाढ़/अतिवृष्टि के कारण कृषि फसलों की क्षति की स्थिति में प्रभावित किसान को यथाशीघ्र राहत दिलाई जाए। क्षति का आकलन कराकर तत्काल मदद पहुंचाने की व्यवस्था रहनी चाहिए। मुख्यमंत्री  ने कहा कि प्रदेश में बाढ़ सुरक्षा के लिए विभिन्न नदियों पर 3,869 कि0मी0 की लम्बाई के 523 तटबंध निर्मित हैं। बाढ़ की आशंका को देखते हुए सभी तटबंधों की सतत निगरानी की जाए। अतिसंवेदनशील एवं संवेदनशील तटबंधों का जिलाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक द्वारा स्वयं निरीक्षण किया जाए। शेष तटबंधों का निरीक्षण उपजिलाधिकारी एवं डिप्टी एस0पी0 द्वारा करा लिया जाए। समस्त अतिसंवेदनशील तटबंधों पर प्रभारी अधिकारी, सहायक अभियन्ता स्तर के नामित किए जा चुके हैं, यह 24 घण्टे अलर्ट रहें। तटबन्धों पर क्षेत्रीय अधिकारियों/कर्मचारियों द्वारा लगातार निरीक्षण एवं सतत निगरानी की जाती रहे। बारिश के शुरुआती दिनों में रैटहोल/रेनकट की स्थिति पर नजर रखी जाए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि बाढ़ के प्रति अतिसंवेदनशील तटबन्धों जैसे जनपद बस्ती में सरयू नदी पर निर्मित कटरिया-चांदपुर तटबंध एवं कलवारी-रामपुर तटबंध, बाराबंकी में सरयू नदी पर निर्मित अलीनगर-रानीमऊ तटबंध, गोरखपुर में राप्ती नदी पर निर्मित बढ़या-कोठा तटबंध एवं बोक्टा-बरवार तटबंध, जनपद बलिया में गंगा नदी पर दूबे छपरा-टेंगरही तटबंध एवं सरयू नदी पर निर्मित तुर्तीपार-श्रीनगर तटबंध, गोण्डा में सरयू नदी पर निर्मित सकरौर-भिखारीपुर तटबंध एवं एल्गिन ब्रिज-चरसरी तटबंध, जनपद बहराइच में सरयू नदी पर निर्मित बेल्हा-बेहरौली तटबंध एवं रेवली आदमपुर तटबंध, बलरामपुर में राप्ती नदी पर निर्मित राजघाट तटबंध, जनपद सिद्धार्थनगर में बूढ़ी राप्ती नदी पर निर्मित अशोगवा नगवाँ तटबंध एवं मदरहवा-अशोगवा बांध जनपद मऊ में सरयू नदी पर निर्मित चिऊँटीडाड़ तटबंध, जनपद बदायूं में गंगा नदी पर निर्मित गंगा-महावां तटबंध जनपद आजमगढ़ में सरयू (घाघरा) नदी पर निर्मित महुला गढ़वाल तटबंध पर मरम्मत के समस्त कार्य पूर्ण करा लिए जाएं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2021 में बाढ़ से प्रभावित अतिसंवेदनशील/ संवेदनशील स्थलों को चिन्हित कर बाढ़ परियोजनाओं के माध्यम से बाढ़ बचाव कार्य संचालित है। ऐसे संवेदनशील स्थलों, जहां बाढ़ बचाव परियोजनाएं स्वीकृत नहीं हैं अथवा क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों एवं जिलाधिकारियों द्वारा आसन्न बाढ़ के दृष्टिगत संवेदनशीलता की आशंका व्यक्त की गई है, उन स्थलों पर उनके सुझाव के अनुसार आवश्यक कार्य कराए जाएं। बाढ़ से बचाव के लिए नदियों की ड्रेजिंग उपयोगी उपाय है। तटबंधों एवं बस्तियों के निकट ड्रेजिंग से बाढ़ से जन-धन हानि रोकने में मदद मिलती है। रिमोट सेन्सिंग एवं ड्रोन की मदद से नदियों के चैनलाइजेशन की आवश्यकता के स्थलों को चिन्हित कर कार्ययोजना बनाकर ड्रेजिंग करायी जानी चाहिए। नदियों के कैचमेंट एरिया में अवैध खनन से बाढ़ की स्थिति गम्भीर हो जाती है। इसलिए नदियों के कैचमेंट एरिया में अवैध खनन पर प्रभावी रोक लगायी जाए।
बैठक को सम्बोधित करते हुए जल शक्ति मंत्री  स्वतंत्र देव सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री  के नेतृत्व में प्रदेश में सभी क्षेत्रों में सकारात्मक बदलाव आया है। मुख्यमंत्री  के मार्गदर्शन में बाढ़ नियंत्रण और तटबंधों के कटान से सम्बन्धित परियोजनाएं लक्ष्य के अनुरूप पूर्ण कर ली गयी हैं। प्रदेश सरकार की बाढ़ की किसी भी परिस्थिति के लिए पूरी तैयारी है। बैठक के अन्त में जलशक्ति राज्य मंत्री  रामकेश निषाद ने मुख्यमंत्री  के प्रति आभार व्यक्त किया।
बैठक के दौरान प्रमुख सचिव सिंचाई  अनिल गर्ग द्वारा बाढ़ नियंत्रण के कार्याें के सम्बन्ध में प्रस्तुतिकरण दिया गया। इस दौरान अपर मुख्य सचिव गृह  अवनीश कुमार अवस्थी, अपर मुख्य सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य  अमित मोहन प्रसाद, अपर मुख्य सचिव पशुपालन  रजनीश दुबे, अपर मुख्य सचिव कृषि  देवेश चतुर्वेदी, प्रमुख सचिव खाद्य एवं रसद  वीना कुमारी मीना, एस0डी0एम0ए0 के उपाध्यक्ष ले0ज0  रवीन्द्र प्रताप साही तथा बैठक से वर्चुअल माध्यम से जुड़े राहत आयुक्त  रणवीर प्रसाद ने अपने-अपने विभागों में बाढ़ से बचाव एवं राहत की तैयारी के सम्बन्ध में मुख्यमंत्री  को अवगत कराया।
इस अवसर पर मुख्य सचिव श्री दुर्गा शंकर मिश्र, पुलिस महानिदेशक डॉ0 डी0एस0 चौहान, अपर मुख्य सचिव सूचना एवं एम0एस0एम0ई0 नवनीत सहगल, अपर मुख्य सचिव मुख्यमंत्री  एस0पी0 गोयल, प्रमुख सचिव राजस्व सुधीर गर्ग, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री  संजय प्रसाद, निदेशक सूचना  शिशिर सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। सभी जनपद वर्चुअल माध्यम से बैठक में सम्मिलित हुए थे।

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