राज्य सरकार प्रदेश के प्रत्येक व्यक्ति को स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्धः मुख्यमंत्री

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश के प्रत्येक व्यक्ति को स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। स्वास्थ्य के संबंध में किसी भी लापरवाही पर शासन स्तर से जवाबदेही सुनिश्चित की जाती है। प्रदेश के 25 करोड़ लोगों के प्रति सरकार पूरी जवाबदेही के साथ कार्य कर रही है। इसमें कोई सन्देह नहीं होना चाहिए। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे-04 तथा 05 के आंकड़े गवाही देते हैं कि विगत साढ़े पांच वर्षों में प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं में बेहतरीन सुधार हुआ है। राज्य में गर्भवती महिलाओं व किशोरी कन्याओं में एनीमिया के स्तर को नियंत्रित करने में सफलता प्राप्त हुई है। इसमें प्रदेश का औसत, राष्ट्रीय औसत से भी अच्छा है। शिशु मृत्यु दर तथा मातृ मृत्यु दर में पहले की तुलना में सुधार हुआ है। अन्य विषयों में भी प्रदेश ने उत्तरोत्तर प्रगति की है।

लखनऊ (आरएनएस)

मुख्यमंत्री मंगलवार विधान सभा में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने कहा कि पूर्वी उत्तर प्रदेश के जनपदों गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, महराजगंज, सिद्धार्थनगर, संतकबीर नगर तथा देवी पाटन मण्डल के जनपदों में जुलाई से नवम्बर का यह सीजन भय का होता था। इंसेफेलाइटिस से प्रतिवर्ष वहां 1200 से 2000 तक मौतें हो जाती थीं। डबल इंजन की सरकार की संयुक्त कार्यवाही का परिणाम है कि आज इंसेफेलाइटिस से होने वाली मृत्यु शून्य पर पहुंची है। गोरखपुर जनपद में इस वर्ष इंसेफेलाइटिस के केवल 40 मामले आये हैं, इनमें 33 एक्यूट इंसेफेलाइटिस तथा 07 जापानी इंसेफेलाइटिस के हैं। इससे कोई भी मृत्यु नहीं हुई। आज प्रदेश में डेंगू, कालाजार, मलेरिया जैसे संचारी रोगों के नियंत्रण के लिए वर्ष में तीन बार विशेष अभियान चलाया जा रहा है। वर्तमान में प्रदेश में डबल इंजन की सरकार स्वास्थ्य सम्बन्धी विभिन्न कार्यक्रमों को पूरी मजबूती के साथ आगे बढ़ाते हुए उनका लाभ बिना भेदभाव के समाज के सभी तबकों को उपलब्ध करा रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘108’ एम्बुलेंस के रिस्पॉन्स टाइम को और बेहतर करने का प्रयास किया गया है। केन्द्र और राज्य सरकार के प्रयासों से प्रदेश ‘एक जनपद एक मेडिकल कॉलेज’ की स्थापना की ओर बढ़ रहा है। प्रदेश के 59 जनपदों में एक-एक मेडिकल कॉलेज या तो बन चुका है या बनने की ओर अग्रसर है। शेष 16 जनपदों में भी मेडिकल कॉलेज की स्थापना की कार्यवाही को सरकार आगे बढ़ाने का कार्य कर रही है। प्रदेश के सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में हर सप्ताह आरोग्य मेले का आयोजन होता है। इसमें डेढ़ से तीन लाख मरीज आते हैं। आयुष्मान भारत या मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना के माध्यम से प्रत्येक गरीब को सालाना 05 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा कवर डबल इंजन की सरकार उपलब्ध करा रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में प्रथम बार मेडिकल यूनिवर्सिटी, परम्परागत चिकित्सा के लिए आयुष यूनिवर्सिटी तथा स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी बनायी जा रही है। प्रदेश में हर घर नल योजना लागू हो रही है। राज्य सरकार हर घर को नल से जल देने के लिए प्रतिबद्ध है। बुन्देलखण्ड और विन्ध्य क्षेत्र में इस वर्ष के अन्त तक हर घर नल योजना के तहत सभी घरों तक जल पहुंचने की कार्यवाही सम्पन्न हो जायेगी। प्रदेश में 30,000 गांवों की कार्ययोजना अन्तिम चरण में है, उन पर कार्य प्रारम्भ हो चुका है। फ्लोराइड, आर्सेनिक तथा खारेपन की समस्या से जुड़े क्षेत्रों में हर घर नल योजना को लागू करने की कार्यवाही चल रही है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि राज्य में इन्फ्रास्ट्रक्चर, शिक्षा के बेहतरीन केन्द्र खोलने, बेहतरीन स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने या प्रदेश के सभी गांवों को बेहतरीन कनेक्टिविटी देने के कार्यों के लिये धन की कमी नहीं है। सरकार के संसाधन बढ़े हैं। राजस्व में भी वृद्धि हुई है। कोरोना महामारी का सामना करते हुए भी राज्य सरकार ने मजबूती के साथ अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने का प्रयास किया है। प्रधानमंत्री का विजन देश को 05 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनाने का है। इसी के अनुरूप उत्तर प्रदेश ने अपनी अर्थव्यवस्था को 01 ट्रिलियन डॉलर में बदलने के लिए प्रयास आगे बढ़ाए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार अपने स्तर पर बेहतर प्रयास कर रही है। राज्य की 25 करोड़ जनता को जाति, मत, मजहब, क्षेत्र तथा भाषा से परे प्रदेश सरकार ने अपने परिवार की तरह माना है। प्रदेश सरकार बिना किसी भेदभाव के शासन की योजनाओं को राज्य में लागू कर रही है। लोकतंत्र में सरकार के साथ प्रतिपक्ष भी व्यवस्था का हिस्सा है। सभी को अपनी जिम्मेदारी समझते हुए गम्भीरता का परिचय देना चाहिए। शासकीय व्यवस्थाओं को कटघरे में खड़ा करके आम नागरिक में भ्रम की स्थिति पैदा नहीं करनी चाहिए। सभी को सदन में जिम्मेदारी के साथ तथ्यों पर बोलना चाहिए। इससे उनकी विश्वसनीयता बनी रहेगी तथा व्यवस्था के प्रति आम जनमानस का विश्वास सुदृढ़ होगा।

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